दिल्ली: नेपाल की राजनीतिक परिदृश्य में पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाओं ने पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पांच दिनों तक चल रहे राजनीतिक गतिरोध के बाद शुक्रवार को नेपाल ने एक महत्वपूर्ण मोड़ देखा। देश की पूर्व चीफ़ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। यह नेपाल में किसी महिला के लिए यह पहला अवसर है जब वह देश की शीर्ष राजनीतिक पद पर पहुंची हैं।
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सुशीला कार्की नेपाल की प्रधानमंत्री |
संसद का भंग होना और चुनाव की तैयारी
सुशीला कार्की के शपथ लेने के साथ ही वर्तमान संसद को भंग कर दिया गया। यह कदम देश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच उठाया गया है। सरकार ने मार्च 2026 में आम चुनाव कराने की घोषणा की है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह निर्णय देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को जल्द बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अंतरिम सरकार की चुनौतियां
हालांकि अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को व्यापक समर्थन मिला है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते विवाद, विरोध प्रदर्शन और सामाजिक अस्थिरता इस अंतरिम सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल होंगे। उनके सामने यह चुनौती है कि वे शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखें और चुनाव तक शासन प्रणाली को सुचारू रूप से संचालित करें.
महिला नेतृत्व का नया अध्याय
सुशीला कार्की का प्रधानमंत्री बनना केवल राजनीतिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह नेपाल में महिला नेतृत्व के लिए भी एक नया अध्याय खोलता है। यह कदम महिलाओं के राजनीतिक भागीदारी और अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में भी एक प्रेरणादायक संकेत है।
आगे की राह
अंतरिम सरकार और आगामी चुनाव देश के भविष्य के लिए निर्णायक होंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाता है और नेपाल अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती से आगे बढ़ाता है या नहीं।
नेपाल की राजनीति में नया मोड़, सुशीला कार्की बनीं पहली महिला प्रधानमंत्री

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